नवजोत सिंह सिद्धू किसी पहचान के मोहताज नही. कहा जाता था की सिद्धू किसी समय ठीक से बोल भी नहीं पाते थे. लेकिन इसके विपरीत आज के समय में अपने आप को इतना बदला उन्होंने की अपनी बातो से लोगों को प्रेरित करते है और उनकी हाज़िरजबाबी से लोग स्तब्ध रह जाते हैं उनका हाज़िर जवाब में कोई ना कोई सन्देश का होना ये उनकी बड़ी क़ाबलियत हैं.
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navjot singh sidhu shayari
सूरज हूँ जिंदगी की चमक छोड़ जाऊँगा,
फिर लौट आने की खनक छोड़ जाऊँगा
मै सबकी आँखों से आंसू समेट कर,
सबके दिलो में अपनी झलक छोड़ जाऊँगा
जीने के लिये तेरा एक अरमान ही काफी,
दिल की कलम से लिखी ये दास्तान ही काफी है,
तीरों-तलवार की तुझे क्या जरुरत है हसीना,
क़त्ल करने के लिये तेरी मुस्कान ही काफी है।
दिल से दुआ है, जो दिल से दे दुआ तो बिखारी आमिर है
मोती ना दे सके तो समंदर फकीर है
देता रहेगा सारे अंधेरो को रोशनी
जब तक तेरे वजूद में रोशन जमीर है
navjot singh sidhu shayari in hindi
जोड़ने वाले को मान मिलता है
तोड़ने वाले को अपमान मिलता है,
और जो खुशियाँ बाँट सके उसे सम्मान मिलता है
मंजिले उनको मिलती है
जिनके सपनों में जान होती है
पंखो से कुछ नहीं होता
हौसलों से उड़ान होती है
आयु थोड़ी बड़ी है, लेकिन उत्साह आज भी वही है
नदी चाहे गहरी है लेकिन प्रवाह आज भी वही है
वही दमखम वही चम चम, मन ठाठ वही है
तलवार पुरानी है पर धार और काट आज भी वही है
navjot singh sidhu shayri
बुलबुलों के पंखो मे बंधे हुए कभी बाज़ नहीं रहते,
बुझदिलो और कायरो के हाथ कभी राज़ नहीं रहते
सर झुकाकर चलने की आदत पड़ जाये जिस इंसान को
उस इंसान के सर पर कभी ताज नहीं रहते.
इबादत नहीं सिर्फ माला को घुमा देना,
इबादत है किसी भूखे को रोटी खिला देना,
किसी रोते हुए को हसा देना,
किसी उजड़े हुए को बसा देना.
निकाल दे अपने दिल से हर डर को,
नजारे मिलेंगे नए फिर तेरी नजर को,
दामन भर जाएगा सितारों से तेरा
ये दुनिया देखेगी तब तेरे उभरते हुनर को