कर्ज पर कविता | Loan Shayari

Loan Par Shayari


कर्ज पर कविता – Loan Par Kavita | Finance Poem in Hindi – जीवन में व्यक्ति को कभी ना कभी Loan ( उधार ) की आवश्यकता पड़ती है। किन्तु कुछ लोग कई बार अनावश्यक रूप से बहुत ज्यादा कर्ज ले लेते है जो जीवन पर बोझ बन जाता है। Loan पर आधारित यह Funny Poem इन्ही विचारों को अभिव्यक्त करती है।

loan ki Kavita : कर्ज पर कविता

बापू की सीख

जीवन में कभी कर्ज मत लेना
समझा के गया बापू।
भले ही सुखी रोटी खा लेना
समझा के गया बापू।।

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पर धनीराम के समझ ना आयी बात।
छोरी की शादी आते ही Loan लिया रातों – रात।।

रातों – रात धन कुबेर जमींदार जगमीत ने दिया 5 लाख।
सब जाने लाखों की तो होती है हाथ, पैर और नाक।।

नाक दार जगमीत की 2 साल बीतते ही जुबान बोली।
धनीराम चुका रहा या लगाऊं तेरे मकान की बोली।।

बोली की बात सुन धनीराम के साथ घर भी काँपा।
उस रात चिंता में बिना खाना खायें पूरा बैंक -बैलेंस नापा।।

Finance Poem in Hindi

पता चला बचत से ज्यादा है जगमीत का ब्याज।
नहीं चुकेगा, खायें भले ही रोटी के संग प्याज।।

प्याज काटकर भी धनीराम के इतने ना आते आंसू।
बीवी रोयी रातभर ऐसे जैसे मर गयी उसकी सासू।।

सासू के पति की बात उसका घरवाला ना माना।
धूम-धाम से शादी के चक्कर में कर्ज लिया मन-माना।।

कर्ज लिया मन-माना, बच्ची का भी टूट गया नाता।
दिन-रात अब कोस रहे कैसा है भाग्य-विधाता।।

ईश्वर ने तो दे दिया दुःखों का पहाड़।
गुलाब की जगह बिछा दिया काँटों वाला झाड़।

इस झाड़ से ना झड़ेगा, चुकाने लायक पैसा।
कभी भी भूलकर कर्ज ना लो भाई तुम ऐसा।।

कर्ज मत लो ऐसा, लो अपनी औकात के हिसाब से।
लो भैयाजी बैंक से, मत लो बही खाते की किताब से।

लेन-देन : रामधारी सिंह “दिनकर”

लेन-देन का हिसाब
लंबा और पुराना है।

जिनका कर्ज हमने खाया था,
उनका बाकी हम चुकाने आये हैं।
और जिन्होंने हमारा कर्ज खाया था,
उनसे हम अपना हक पाने आये हैं।

लेन-देन का व्यापार अभी लंबा चलेगा।
जीवन अभी कई बार पैदा होगा
और कई बार जलेगा।

और लेन-देन का सारा व्यापार
जब चुक जायेगा,
ईश्वर हमसे खुद कहेगा –

तुम्हारा एक पावना मुझ पर भी है,
आओ, उसे ग्रहण करो।
अपना रूप छोड़ो,
मेरा स्वरूप वरण करो।